What are Rights Against Exploitation

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शोषण के विरुद्ध अधिकार (Rights Against Exploitation)

भारत के संविधान में अनुच्छेद 23 और अनुच्छेद 24 देश के सभी नागरिकों को शोषण के विरुद्ध (rights against exploitation) अधिकार देता है

इसे एक मौलिक अधिकार ( fundamental rights) माना गया है। 

बच्चों से कारखानों में काम कराने पर भी रोक है। उन्हें दुकानों पर नौकर के रूप में इस्तेमाल करने पर भी रोक लगा दी गई है। यह सारी चीजें शोषण के अंतर्गत आती है

सर्वोच्च न्यायालय  ( Supreme Court of India) ने बाल मजदूरी खत्म करने का निर्देश दिया था, शोषण के विरुद्ध अधिकार को संविधान के रूप में मान्यता देने की शुरुआत 1975 में की गई थी जब बंधक मजदूरी प्रथा देशभर में गैरकानूनी घोषित की गई थी

बच्चों से कारखानों में काम कराने पर भी रोक है। उन्हें दुकानों पर नौकर के रूप में इस्तेमाल करने पर भी रोक लगा दी गई है। यह सारी चीजें शोषण के अंतर्गत आती है

1997 में सर्वोच्च न्यायालय ने भारत सरकार से 6 महीने के अंदर बाल मजदूरी खत्म करने का निर्देश दिया था

बाल पुनर्स्थापना कल्याण कोष  ( Children restorations welfare fund) की स्थापना की थी। उस समय बाल मजदूरी को खत्म करने के अनेक प्रयास किए गए थे पर वह पर्याप्त नहीं सिद्ध हुए

 भारत के कुछ राज्यों में अभी भी बाल मजदूरी चल रही है। देश की गरीबी, मां बाप का गरीब होना इसका मुख्य कारण है

● शोषण के विरुद्ध अधिकार

अनुच्छेद 23 - मानव के दुर्व्यापार और बलात श्रम का प्रतिषेध

अनुच्छेद 24 - बालकों के नियोजन का प्रतिषेध

● अनुच्छेद 23

इसके तहत संविधान के अंतर्गत मानव का गलत इस्तेमाल करना दंडनीय अपराध है

इसके अंतर्गत दुर्व्यापार जैसे पुरुष महिला बच्चों की खरीद-फरोख्त, वेश्यावृत्ति, दास प्रथा, देवदासी जैसी चीजें शामिल हैं

इसके साथ ही बेकार जबरन मजदूरी (Forced Labour) कराने पर भी दंड ( imprisonment) का प्रावधान है बिना पारिश्रमिक के काम करवाना जैसी चीजें इसमें शामिल है

भारत में अनैतिक व्यापार को रोकने के लिए अनैतिक व्यापार अधिनियम 1956, बंधुआ मजदूरी अधिनियम 1976 और समान पारिश्रमिक अधिनियम 1976 बनाया गया है

देश में हर नागरिक अपनी पसंद का रोजगार, पेशा या काम चुन सकता है। हर नागरिक को समान वेतन का अधिकार है। इसके साथ ही सभी लोगों को ट्रेड यूनियन बनाने और जॉइन करने का अधिकार दिया गया है

अनुच्छेद 23 के कुछ अपवाद भी हैं। राज्य या देश हित के लिए अनिवार्य श्रम योजना को लागू किया जा सकता है

इसके साथ ही जैसे सैन्य सेवा, सामाजिक सेवा जैसे कार्यो के लिए या धन देने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता

● अनुच्छेद 24

इसके अंतर्गत 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों को फैक्ट्री दुकान कारखाने आदि में काम कराना दंडनीय अपराध है

इसके साथ ही जोखिम भरे कामों को कराना दंडनीय अपराध है। यह संविधान संयुक्त राष्ट्र के सिद्धांतों पर आधारित है

भारत में बाल श्रम को रोकने के लिए बाल एवं किशोर श्रम अधिनियम 1986, बाल श्रम संशोधन अधिनियम 1986 और बाल श्रम संशोधन अधिनियम 2016 बनाया गया है

इस संविधान का उल्लंघन करने वाले को दंड दिया जाएगा

6 से 2 वर्ष तक की कैद या 2 से 5 लाख रूपये तक का जुर्माना भी हो सकता है

दुबारा पकड़े जाने पर 1 से 3 वर्ष की सजा हो सकती है